BPSC की 69वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (CCE) में उज्ज्वल कुमार उपकार ने टॉप करके एक नई मिसाल कायम की है। बिहार के सीतामढ़ी जिले के रायपुर गांव के रहने वाले उज्ज्वल का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
सीमित संसाधनों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दी
उज्ज्वल के पिता सुबोध कुमार एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं, और उनकी मां एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, उज्ज्वल ने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाई। किसान कॉलेज, बरियारपुर से 12वीं करने के बाद, उन्होंने एनआईटी उत्तराखंड से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
प्रशासनिक सेवा में करियर बनाने का सपना
इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बावजूद, उज्ज्वल का सपना प्रशासनिक सेवाओं में करियर बनाने का था। उन्होंने बीपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में 67वीं बीपीएससी परीक्षा में 496वीं रैंक हासिल की। हालांकि, वह इससे संतुष्ट नहीं हुए और अगले प्रयास में उन्होंने 69वीं बीपीएससी परीक्षा में टॉप रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। उनकी सफलता यह सिद्ध करती है कि यदि समर्पण और कड़ी मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
नौकरी और पढ़ाई का संतुलन
उज्ज्वल जुलाई 2024 से हाजीपुर में ब्लॉक वेलफेयर ऑफिसर (BWO) के पद पर कार्यरत हैं। अपनी फुल-टाइम नौकरी के बावजूद, उन्होंने पढ़ाई को कभी पीछे नहीं छोड़ा। वह सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक अपनी नौकरी निभाने के बाद, रात 10 बजे से लेकर सुबह 2 बजे तक पढ़ाई करते थे। उनका समय प्रबंधन और पढ़ाई के प्रति जुनून हर प्रतियोगी छात्र के लिए प्रेरणा है।
दृढ़ता और समर्पण का उदाहरण
उज्ज्वल की कहानी यह साबित करती है कि सही मानसिकता और दृढ़ संकल्प से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल किया। उनकी सफलता हर छात्र को यह सिखाती है कि यदि आपके पास समर्पण और अनुशासन हो, तो कोई भी सपना पूरा करना संभव है।